आयुर्वेद में शुगर की सबसे अच्छी दवा कौन सी है? Sugar is the best medicine in Ayurveda


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आजकल के दौर में शुगर यानी मधुमेह की समस्या एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। ऐसा लगता है, जैसे हर घर में कोई न कोई इससे जूझ रहा है। इस बीमारी का सीधा कारण हमारी गलत जीवनशैली और खानपान की आदतें हैं। खासकर जब हम आयुर्वेद की बात करते हैं, तो यह एक ऐसी चिकित्सा प्रणाली है जो प्राचीन काल से लोगों को बीमारियों से बचाने के लिए उपयोग की जा रही है। अगर आप शुगर की समस्या से परेशान हैं और दवाओं के साइड इफेक्ट्स से थक चुके हैं, और आप आयुर्वेद जानकारी का शोध ले रहें तो आपको इस ब्लॉक में आयुर्वेद में शुगर की सबसे अच्छी दवा कौन सी है? Sugar is the best medicine in Ayurveda यह जानकारी पर बात करेंगे, क्यों की आयुर्वेद आपको एक नैचुरल और प्रभावी समाधान दे सकता है।

आयुर्वेद में शुगर की सबसे अच्छी दवा कौन सी है? Sugar is the best medicine in Ayurveda

शुगर क्या है और इसका आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

शुगर या मधुमेह एक ऐसी स्थिति है, जब शरीर में शुगर (ग्लूकोज) की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है। इसका मुख्य कारण शरीर में इंसुलिन की कमी या इंसुलिन का सही से काम न करना होता है। आयुर्वेद में इसे "प्रमेह" के नाम से जाना जाता है। प्रमेह को 20 प्रकारों में विभाजित किया गया है, जिनमें से एक प्रकार मधुमेह है। आयुर्वेद में इसे वात, पित्त, और कफ के असंतुलन के रूप में देखा जाता है। आयुर्वेद का मानना है कि जब शरीर के ये तीन दोष असंतुलित होते हैं, तो कई बीमारियां जन्म लेती हैं, और मधुमेह भी उनमें से एक है।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से शुगर का इलाज

अब बात करते हैं, कि आयुर्वेद कैसे शुगर का इलाज करता है। आयुर्वेद सिर्फ बीमारी के लक्षणों को नहीं देखता, बल्कि इसका इलाज जड़ से करता है। इसमें शरीर के संतुलन को बहाल करने पर ध्यान दिया जाता है। आयुर्वेदिक इलाज में कुछ जड़ी-बूटियों और औषधियों का उपयोग किया जाता है, जो न केवल शुगर के स्तर को नियंत्रित करता हैं, बल्कि शरीर को भी अंदर से मजबूत बनाता हैं। आयुर्वेदिक दवाएं ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देता हैं, और साथ ही इंसुलिन की प्रभावशीलता को भी बढ़ाता हैं।
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शुगर को नियंत्रित करने के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां

आइए अब बात करते हैं, उन अद्भुत जड़ी-बूटियों की, जो आयुर्वेद में शुगर को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं।

1) गुड़मार (Gymnema Sylvestre) मीठे की लालसा को कम करने वाली जड़ी-बूटी

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आपने शायद इस जड़ी-बूटी का नाम पहले नहीं सुना होगा, लेकिन इसका नाम ही इसका काम बता देता है—गुड़मार यानी "चीनी को नष्ट करने वाला"। यह जड़ी-बूटी शुगर की इच्छा को कम करने के लिए जानी जाती है। इसके पत्ते इंसुलिन को बढ़ावा देते हैं और शुगर के स्तर को नियंत्रित करते हैं। गुड़मार न केवल ग्लूकोज के अवशोषण को कम करता है, बल्कि यह शरीर में इंसुलिन की प्रभावशीलता को भी बढ़ाता है। अगर आप या कोई आपके जानने वाला मीठे का बहुत शौकीन है और मधुमेह से जूझ रहा है, तो गुड़मार जिसे अंग्रेज़ी में Gymnema Sylvestre कहते हैं, उनके लिए वरदान साबित हो सकता है। गुड़मार की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये आपके मुंह के मीठे स्वाद को दबा देती है, जिससे आपको मीठे की क्रेविंग कम हो जाती है। और अगर आपकी शुगर कम हो जाए तो जाहिर है, आपका ब्लड शुगर लेवल भी नीचे आएगा।

गुड़मार कैसे लें 

गुड़मार के पत्तियों का पाउडर 1-2 ग्राम सुबह और शाम पानी के साथ लें। आप इसे किसी वैद्य से पूछकर सही मात्रा में भी ले सकते हैं।
  • फायदे 👉 ये शुगर को कंट्रोल करने के साथ-साथ इंसुलिन उत्पादन में भी मदद करता है।
  • ध्यान रखें 👉 इसे ज्यादा लेने पर आपको हाइपोग्लाइसीमिया यानी बहुत कम शुगर की समस्या हो सकती है, इसलिए इसे सही मात्रा में ही लें।

2) विजयसार, ब्लड शुगर के लिए रामबाण


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विजयसार (Pterocarpus Marsupium) की लकड़ी से बने पानी का नाम तो आपने सुना ही होगा। यह एक बहुत ही पुरानी आयुर्वेदिक औषधि है, जो शुगर को नियंत्रित करने के लिए बहुत उपयोगी है। विजयसार की लकड़ी से पानी बनाने की विधि बड़ी सरल है। इसकी लकड़ी के टुकड़े को पानी में रातभर भिगोकर रखें और सुबह उस पानी को पिएं।

विजयसार कैसे लें?

आप विजयसार की लकड़ी का चूर्ण या उसकी लकड़ी का पानी पी सकते हैं।
  • फायदे 👉 यह न केवल शुगर कंट्रोल करता है, बल्कि आपके पाचन को भी सुधारता है।
  • ध्यान रखें 👉 विजयसार को ज्यादा मात्रा में लेना लो ब्लड शुगर का कारण बन सकता है, इसलिए संतुलित मात्रा में ही लें।

3) मेथी रोज़ाना का मसाला, मधुमेह का इलाज


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आपके किचन में रोज़ाना इस्तेमाल होने वाली मेथी (Fenugreek) भी शुगर कंट्रोल करने में मदद करती है। मेथी में इंसुलिन की संवेदनशीलता बढ़ाने वाले तत्व होते हैं, जो शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, मेथी का सेवन आपके कोलेस्ट्रॉल और पाचन पर भी अच्छा असर डालता है। इसे आप बड़ी आसानी से अपने डाइट में शामिल कर सकते हैं।

मेथी कैसे लें

मेथी के बीज को रातभर पानी में भिगो दें और सुबह खाली पेट इसे चबा लें या इसका पानी पी लें।
  • फायदे 👉 मेथी से शुगर लेवल में गिरावट आती है और पाचन भी दुरुस्त रहता है।
  • ध्यान रखें 👉 अगर आप इसे अधिक मात्रा में लेंगे, तो इससे पेट में गैस या एसिडिटी हो सकती है।

4) आमला हर मर्ज की दवा

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आमला का नाम सुनते ही आपके दिमाग में सबसे पहले उसका खट्टा स्वाद आता होगा, है ना? लेकिन आमला सिर्फ स्वाद के लिए नहीं, बल्कि यह आपके शरीर के लिए भी अमृत है। आयुर्वेद में आमला को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है, खासकर मधुमेह के लिए। आमला में विटामिन C की भरपूर मात्रा होती है, जो आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और साथ ही शुगर को भी कंट्रोल करता है।

आमला को कैसे लें

10-20 मि.ली. आमला रस सुबह खाली पेट पीएं, या इसका पाउडर पानी के साथ लें सकते हैं।
  • फायदे 👉 इससे शुगर कंट्रोल होने के साथ-साथ आपकी इम्यूनिटी भी बेहतर होती है।
  • ध्यान रखें 👉 ज्यादा मात्रा में आमला लेने से पेट में जलन या एसिडिटी हो सकती है।

5) करेला (Bitter Gourd) कड़वा है, लेकिन असरदार भी


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करेला का नाम सुनते ही बहुत से लोगों का मुंह बन जाता है, लेकिन अगर आप इसे अपने डाइट में शामिल करते हैं, तो इसके फायदे बहुत ही ज्यादा हैं। करेले का रस खासकर शुगर को नियंत्रित करने में बेहद असरदार है। करेले में कैरेंटिन नाम का तत्व होता है, जो ब्लड शुगर लेवल को घटाने में मदद करता है।

करेले को कैसे लें

करेले का रस 30 मि.ली. सुबह खाली पेट लें।
  • फायदे 👉 करेले का नियमित सेवन आपके शुगर लेवल को नियंत्रित करता है और आपके पाचन को भी बेहतर बनाता है।
  • ध्यान रखें 👉 ज्यादा लेने पर पेट में दर्द या दस्त हो सकते हैं, इसलिए इसे नियंत्रित मात्रा में ही लें।

6) नीम (Neem)


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नीम के पत्तों को आयुर्वेद में एक अद्भुत औषधि माना गया है। नीम में एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं, जो ब्लड शुगर को कम करने में मदद करते हैं। नीम के पत्तों का रस या इसका पाउडर शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में कारगर साबित हो सकता है। इसके अलावा, नीम शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है और अलग अलग बीमारिया से लड़ने में मदद करता है।

7) जामुन के बीज (Jamun Seeds)


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जामुन और इसके बीजों का उपयोग शुगर को नियंत्रित करने में किया जाता है। जामुन के बीज इंसुलिन की संवेदनशीलता को बढ़ाते हैं और ब्लड शुगर को नियंत्रित रखते हैं। जामुन के बीजों को पीसकर इसका पाउडर बना लें और रोजाना इसका सेवन करें। यह प्राकृतिक रूप से शुगर को कम करने में मदद करता है और इसके कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं होते।



8) गिलोय आयुर्वेद का अमृत


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गिलोय को आयुर्वेद में अमृत के समान माना गया है। यह शुगर कंट्रोल करने में बेहद कारगर है, क्योंकि यह शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाता है, और ब्लड शुगर के लेवल को प्राकृतिक रूप से घटाती है। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि गिलोय नियमित रूप से लेने से डायबिटीज पर अच्छे परिणाम मिलते हैं।

गिलोय का उपयोग कैसे करें

गिलोय का जूस या टैबलेट का सेवन किया जा सकता है। अगर आप प्राकृतिक तरीका चाहते हैं, तो गिलोय की ताजी डंडी को उबालकर उसका काढ़ा बना सकते हैं और दिन में एक बार पी सकते हैं। यह तरीका शरीर में इंसुलिन उत्पादन को बढ़ाता है और ब्लड शुगर लेवल को स्थिर करता है।

शुगर के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से बनी प्रभावी दवाएं 

आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी-बूटियों से बनी दवाएं हैं, जो शुगर के इलाज में प्रभावी मानी जाती हैं। जैसे कि दीबेक्स और शुगरिन जैसी आयुर्वेदिक दवाएं शुगर के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रही हैं। इन दवाओं में गुड़मार, करेला, नीम और जामुन जैसी औषधियों का इस्तेमाल किया जाता है, जो शुगर को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। ये दवाएं प्राकृतिक हैं और इनके कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होते।

 शुगर के लिए आयुर्वेदिक आहार और जीवनशैली

आयुर्वेद में सिर्फ दवाओं पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं होता। शुगर को नियंत्रित करने के लिए आपको अपने आहार और जीवनशैली में भी बदलाव करने होंगे। आयुर्वेद के अनुसार, अगर आपका आहार और दिनचर्या सही हो, तो आपको बीमारियां छू भी नहीं सकतीं।

1) आहार (Diet)


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आयुर्वेद में शुगर के रोगियों के लिए विशेष आहार सुझाया जाता है। आपको अपने आहार में ताजे फल, सब्जियां, और साबुत अनाज को शामिल करना चाहिए। मीठे पदार्थ, प्रोसेस्ड फूड्स और अधिक तेल-मसालेदार खाने से बचना चाहिए। आयुर्वेद में हरी पत्तेदार सब्जियों का विशेष महत्व है। करेला, लौकी, और मेथी जैसी सब्जियों का नियमित सेवन से शुगर को नियंत्रित करने में बहुत मदद करता है। इसके अलावा, आपको अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए और भोजन समय पर करना चाहिए।

2)योग और प्राणायाम


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आयुर्वेद में योग और प्राणायाम को भी शुगर के इलाज में महत्वपूर्ण माना गया है। योगासन जैसे भुजंगासन, पवनमुक्तासन, और धनुरासन शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। प्राणायाम, खासकर कपालभाति और अनुलोम-विलोम, शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाते हैं और मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाते हैं। इससे शरीर की शुगर को नियंत्रित करने की क्षमता बढ़ती है।

3. दिनचर्या (Daily Routine)

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से दिनचर्या यानी आपके रोजमर्रा के कामकाज का शुगर पर बड़ा असर पड़ता है। आपको सुबह जल्दी उठने की आदत डालनी चाहिए और नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। साथ ही, भोजन का समय भी निर्धारित होना चाहिए। रात में जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने से शरीर की प्राकृतिक लय को बनाए रखा जा सकता है, जो शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है।



शुगर के लिए आयुर्वेदिक इलाज के फायदे

आयुर्वेदिक इलाज के कई फायदे होते हैं। सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह प्राकृतिक है और इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता। इसके अलावा, आयुर्वेदिक इलाज शरीर के संपूर्ण स्वास्थ्य पर ध्यान देता है। यह केवल शुगर को नियंत्रित नहीं करता, बल्कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है और व्यक्ति को अंदर से मजबूत बनाता है।




निष्कर्ष,

शुगर यानी मधुमेह की समस्या से निपटने के लिए आयुर्वेद एक बेहतरीन विकल्प है। यह न केवल शुगर को नियंत्रित करता है, बल्कि शरीर के संतुलन को भी बनाए रखता है। अगर आप शुगर से पीड़ित हैं, तो आयुर्वेदिक उपचार आपकी मदद कर सकता है। हालांकि, किसी भी दवा या जड़ी-बूटी का उपयोग करने से पहले किसी अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।
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 हमेशा पूछे जाने वाले सवाल

क्या मेथी शुगर के लिए कारगर है?

हाँ, मेथी के बीज शुगर को नियंत्रित करने में बहुत कारगर होते हैं। इसका नियमित सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल संतुलित रहता है।

क्या आयुर्वेदिक दवाओं के कोई साइड इफेक्ट होते हैं?

आमतौर पर आयुर्वेदिक दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता, लेकिन हर शरीर अलग होता है, इसलिए दवा शुरू करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना जरूरी है।

करेला शुगर कंट्रोल कैसे करता है?

करेला में चारांटिन नामक तत्व होता है, जो ब्लड शुगर को कम करने में मदद करता है और इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ाता है।

क्या गिलोय का सेवन शुगर को नियंत्रित कर सकता है?

हाँ, गिलोय शुगर कंट्रोल करने में मदद करता है और शरीर की इम्यूनिटी को भी बढ़ाता है।

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